नई दिल्ली |
टेरर फंडिग केस की जांच कर रही नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को आखिरकार हुर्रियत के बड़े नेताओं के खिलाफ ‘पुख्ता सबूत’ मिल गए हैं। बताया जा रहा है कि इन सबूतों के आधार पर अब सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक जैसे बड़े अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसे जाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। इस केस में पांच आरोपी हैं और गवाहों ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराए हैं जो अदालत में मान्य होते हैं। बयानों में बताया गया है कि किस तरह हुर्रियत के टॉप नेताओं ने पाकिस्तान से कश्मीर में आतंक और हिंसा फैलाने के लिए फंड हासिल किया।
इसके अलावा गिरफ्तार किए गए एक शख्स के घर मारे गए छापे के दौरान NIA को कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो हवाला के जरिए पाकिस्तान स्थित स्रोतों से हुर्रियत नेताओं तक फंड पहुंचाए जाने की पूरी कहानी बयां कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अदालत में ये दस्तावेज हुर्रियत नेताओं को बेनकाब करने के लिए काफी होंगे।
हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को पता चला है कि हुर्रियत के एक टॉप नेता के करीबी सहयोगी समेत 5 लोगों को मैजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करवाने के लिए राजी कर लिया गया है। इन बयानों से यह स्थापित हो जाएगा कि हुर्रियत के नेताओं ने पाकिस्तान से फंड लेकर उसे घाटी में हिंसा फैलाने के लिए इस्तेमाल किया। इसमें दिल्ली में स्थित पाकिस्तान के दूतावास की भूमिका भी बताई जा ही है।