बुलेट ट्रेन को लेकर पूरे देश में हलचल मची हुई है। विपक्षी दलों ने बुलेट ट्रेन को लेकर भाजपा पर निशाना साधा हुआ है। गौरतलब है की बुलेट ट्रेन परियोजना की लागत 1.10 लाख करोड़ रु है जिसमें 88 हजार करोड़ रु का कर्ज भारत जापान से ले रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बहुप्रतीक्षित व सबसे ज्यादा चर्चित प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला जापान के पीएम शिंजो आबे के साथ ऐसे समय में रख दी है जिसे किसी भी लिहाज से धार्मिक व शास्त्रीय तौर पर ठीक नहीं माना जा सकता। बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला का समय संपूर्णता से अशुद्ध और अशुभ है आइए जानते हैं क्यों ….. ??
धार्मिक शास्त्रों के मतानुसार वैदिक मनीषियों ने एक वर्ष में संपादित 24 पक्षों में से एक पक्ष को मृत पूर्वजों के लिए सुरक्षित रखकर उसे पितृपक्ष का नाम दिया है। यह पक्ष है आश्विन माह का कृष्ण पक्ष अर्थात श्राद्धपक्ष। शास्त्रनुसा पितृपक्ष के 16 दिनो का काल पितृ के निमित श्राद्धकर्म, अर्घ्य, तर्पण व पिंडदान हेतु समर्पित है। आश्विन माह का कृष्ण पक्ष मूलतः मृत पितृगण की आत्मा को मुक्ति व शांति प्रदान करने हेतु विशिष्ट कर्मकाण्ड है। जिसे श्राद्ध कहा जाता है। मूलतः पितृपक्ष पूर्वजों की मरण तिथि है। सनातन धर्म में किसी सगे-संबंधी की मृत्यु होने पर पातक लगता है मूलतः यह अशुद्ध काल है जिसे शास्त्रों नें अशौच कहकर संबोधित किया है। पातक का संबंध मृत्यु के निमित हुई अशुद्धि से है।
साल के सबसे अशुभ समय में मोदी का किया ये काम
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