नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने आम बजट 2018-19 की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह बजट 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण होगा। इसलिए आगामी आम बजट न सिर्फ लोकलुभावन होगा, बल्कि यह बिल्कुल नए कलेवर में आएगा।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने 13 सितंबर को बजट सर्कुलर जारी कर दिया है। इसी के साथ अगले वित्त वर्ष 2018-19 के आम बजट की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसी विभाग के अधीन बजट डिवीजन आता है। यह डिवीजन ही देश का आम बजट तैयार करता है। विभाग ने सभी मंत्रालयों को नौ अक्टूबर से बजट-पूर्व बैठकों के लिए तैयार रहने को भी कहा है।
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक आगामी बजट में लोकलुभावन घोषणाओं पर जोर रहेगा। जीएसटी लागू होने के बाद सरकार के पास परोक्ष करों के मोर्चे पर बदलाव की ज्यादा गुंजाइश नहीं होगी। इसलिए माना जा रहा है कि इसमें प्रत्यक्ष करों खासकर आयकर और कॉरपोरेट टैक्स की दरें कम की जा सकती हैं।
अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए सार्वजनिक आवंटन में भी वृद्धि के आसार हैं। खास बात यह है कि जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र सरकार का यह पहला आम बजट होगा। इसलिए इसका कलेवर भी बदला-बदला नजर आएगा। वित्त मंत्री के बजट भाषण में भाग दो टैक्स से संबंधित होता है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार अब परोक्ष करों के मोर्चे पर पेट्रोलियम उत्पादों पर करों की दर में फेरबदल के अलावा बस बेसिक कस्टम ड्यूटी की दरों में कमी या बढ़ोतरी कर सकती है। जीएसटी लागू होने से केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर सहित केंद्र सरकार के कई परोक्ष कर और सेस खत्म होने के चलते बदलाव की अधिक गुंजाइश नहीं होगी।
ऐसे में परोक्ष करों में बदलाव नहीं होने से वित्त मंत्री के बजट भाषण का भाग दो अपेक्षाकृत छोटा रहने की उम्मीद है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के आम बजट में भी कई बदलाव किए थे। साथ ही आम बजट पेश करने की तारीख भी फरवरी के अंतिम दिन से बदलकर पहले दिन कर दी थी।