झाबुआ।
जिला अस्पताल में नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) में पांच माह में 60 बच्चों की मौत हो गई। ये आंकड़े 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक के हैं। मृत बच्चों में से 40 ऐसे हैं, जिनका जन्म जिला अस्पताल में नहीं हुआ, बल्कि ये दूसरे अस्पतालों से रैफर होकर यहां आए थे।
हर महीने औसत 12 बच्चों की मौत यहां हुई। इसके पीछे बड़ा कारण है, वो यह कि यहां भर्ती होने वाले बच्चों में से आधे से ज्यादा ऐसे हैं, जिनका जन्म 34 सप्ताह से पहले हो गया।
पांच महीने में यहां 406 नवजात भर्ती किए गए। इनमें से 60 की मौत हो गई। इनमें जिला अस्पताल में जन्मे नवजातों की संख्या 20 और बाहर से लाए गए की संख्या 40 है। जिले में कम वजन के बच्चों की जन्म दर भी ज्यादा है। 406 में से 294 बच्चों का वजन ढाई किलोग्राम से कम था। इनमें से 7 का वजन एक किलोग्राम से भी कम मिला।
अंधविश्वास बन रहा कारण
बच्चों की इस तरह हो रही मौतों के पीछे अंध विश्वास और जागरूकता की कमी कारण बन रहे हैं। इसके अलावा गरीबी के कारण गर्भवती महिलाएं मजदूरी या दूसरे काम भी करती रहती हैं। ऐसे में समय पूर्व प्रसूति की आशंका बढ़ जाती है।