नई दिल्ली |
सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों, विधायकों और चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने वालों के इनकम टैक्स रिटर्न को गोपनीय रखने पर हैरानी जताई। इसके साथ ही कोर्ट ने उम्मीदवारों की ओर से चुनाव आयोग के पास जमा कराए गए संपत्ति और देनदारियों के हलफनामे की पुष्टि करने की नई व्यवस्था बनाने पर भी जोर दिया।
एनजीओ लोक प्रहरी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर उम्मीदवारों की ओर से दाखिल किए जाने वाले हलफनामों की जांच कर यह पता लगाने की मांग की है कि उनकी असेट्स उनकी आमदनी के ज्ञात स्रोतों के अनुसार हैं या नहीं। एनजीओ ने अपनी याचिका में मांग की है कि हलफनामे में आमदनी के स्रोतों पर एक नया कॉलम जोड़ा जाना चाहिए।
चुनाव आयोग अभी उम्मीदवारों के हलफनामे को सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) के पास जांच के लिए भेजता है। याचिका में एक अन्य एनजीओ, असोसिएशन ऑफ डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि कुछ मामलों में उम्मीदवारों की एक चुनाव से दूसरे के बीच संपत्ति 500 या 1000 पर्सेंट तक बढ़ी है। एनजीओ ने हलफनामे में उम्मीदवार के जीवनसाथी और उस पर निर्भर व्यक्तियों की संपत्ति और देनदारियों की जानकारी देने को जरूरी बनाने की भी मांग की है।