क़ुक्षी (देवेन्द्र जैन) ।
यूँ तो सनातन परम्परा में अंतिम क्रिया में पुरुष प्रधानता ही सर्वोपरि रहती है परन्तु कुक्षी में इस मिथक को भी तोड़ा गया |
दादा जी के असिम प्रेम से अभिभूत पौत्री विनी ने अपने दादा जी के निधन के पश्चात परिजनों से उनके अंतिम संस्कार में महत्वपूर्ण क्रियाओ में सहभागिता की विनती की जिसे परिजनों ने सहर्ष स्वीकार किया और पौत्री ने दादाजी के अंतिम संस्कार में सहभागी बनी।
घटना क़ुक्षी नगर के प्रतिष्ठित जैन (सुराणा) परिवार के श्री नंदलाल सुराणा के निधन पर उनकी पौत्री विनी पिता मनोज सुराणा ने अपने परिजनों से शवयात्रा में शामिल होकर दादाजी को कंधा देने की विनती की जिसपर परिजनों में माता पिता काका आदि ने सहर्ष स्वीकार कर फैशन डिजाइन में डिप्लोमा कर रही विनी ने अपने दादाजी को पूर्ण विधि विधान से अंतिम विदाई दी।श्री सुराणा को मुखाग्नि उनके पुत्र मनोज एवम संजय सुराणा ने दी। श्री सुराणा की शवयात्रा में नगर प्रबुद्धजनों एवम सामाजिक एवम राजनीतिक संघटनो के प्रतिनिधियों ने शामिल होकर श्रद्धांजलि दी।