नई दिल्ली।
देश में नई ऑटो नीति बनाने की तैयारी में जुटी सरकार ऑटोमोबाइल कंपनियों को सचेत कर दिया है। अपनी बेबाकी के लिए मशहूर सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने साफ कहा है कि जो कंपनियां स्वच्छ ईंधन वाले वाहन नहीं बनाएंगी, उन्हें उत्पादन की इजाजत नहीं होगी।
यानी अगर ऑटो कंपनियों ने बदले हालात के मुताबिक वाहन तैयार नहीं किए तो फिर अपनी दुकान बंद करनी पड़ेगी। कंपनियों को पेट्रोल-डीजल कारों की जगह इलेक्ट्रिक या ऐसे ईंधन से चलने वाले वाहन तैयार करने होंगे, जो कम प्रदूषण फैलाते हो।
ऑटोमोबाइल कंपनियों के शीर्ष संगठन सियाम के सालाना सम्मेलन का मिजाज इस बार काफी अलग है। सरकार से वाहन कंपनियों को न तो जीएसटी के तहत टैक्स में कोई छूट का आश्वासन मिला और न ही कोई राहत। ऊपर से गडकरी के साथ ही नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने यह चेतावनी अलग से दे दी कि ऑटो कंपनियों को शोध व विकास और नई तकनीकी पर अब ज्यादा खर्च करना होगा।
कांत ने कहा कि जैसा अभी उद्योग में चल रहा है, वैसा आगे नहीं चलेगा। आने वाला समय इलेक्ट्रिक वाहनों का है। कंपनियों को उसी के हिसाब से कामकाज में बदलाव करना होगा। गडकरी और कांत की चेतावनी को ऑटो उद्योग भावी नीति का संकेतक मान रहा है, क्योंकि इन दोनों की अगुआई में नई वाहन नीति बनाई जा रही है। इस नीति में इलेक्ट्रिक कारों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए जाएंगे। गडकरी ने कहा कि नीति को तैयार करने की अंतिम प्रक्रिया चल रही है। इसे लागू करने में कोई देरी नहीं की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि नई ऑटो नीति इसलिए जरूरी है, क्योंकि सरकार प्रदूषण रोकने के साथ ही पेट्रोलियम उत्पादों का आयात घटाना चाहती है। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2030 तक आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता को 20 फीसद तक कम करने का लक्ष्य रखा है।