भोपाल।
विधानसभा चुनाव 2018 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने जहां पूरी तरह से कमर कस ली है, वहीं कांग्रेस संगठन चुनावों में ही उलझकर रह गई है। दिग्गजों की एकता के बार-बार दावे करने वाली कांग्रेस की पोल संगठनात्मक चुनाव की बीआरओ की सूची ने खोल दी है। इसके चलते विधानसभा चुनाव में कोई चेहरा प्रोजेक्ट करने की बातें करने वाले पार्टी नेताओं के सुर बदल गए हैं।
कांग्रेस प्रदेश में लगातार तीन विधानसभा चुनाव हार चुकी है और चौथी बार 2018 में होने वाले चुनावों की तैयारी में भी भाजपा से काफी पिछड़ी हुई है। भाजपा ने ‘वन बूथ फाइव यूथ” पर काम करते हुए कमेटियां बना ली हैं। इन समितियों के गठन के बाद जनप्रतिनिधियों को टारगेट दे दिया है कि मतदान केंद्रों के प्रभावी लोगों की सूची तैयार कर उनमें से अच्छे नामों को चयनित करें।
उधर, कांग्रेस दावा तो कर रही है मतदान केंद्रों की कमेटियों के गठन हो चुका है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अभी भी 30 से 40 फीसदी मतदान केंद्रों पर कमेटियां बनी ही नहीं हैं। भोपाल, इंदौर और जबलपुर जैसे शहरों में कमेटियों के गठन का काम बेहद खराब स्थिति में है।
विधानसभा चुनाव 2018 में कोई चेहरा सामने लाने और चुनाव के पहले नेतृत्व परिवर्तन को लेकर दिग्गज नेता सांसद कमलनाथ व ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों द्वारा जो बातें कहीं जा रही थीं, उन पर कुछ समय से विराम लग गया है। सिंधिया तो कई बार पत्रकारों से चर्चा में कोई चेहरा सामने रखकर चुनाव लड़े जाने की बात कह चुके थे, लेकिन जब उनसे नवदुनिया ने इस बारे में अभी पूछा तो ‘नो कमेंट” कहते हुए बचने का प्रयास किया।