भोपाल।
प्रदेश पर सूखे का साया मंडराने लगा है। हालात यह हैं कि बरसात के सीजन लगभग तीन माह बीतने जा रहे है और प्रदेश में राजधानी सहित लगभग सभी जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। भोपाल में सामान्य से 31 प्रतिशत तो ग्वालियर में 50 फीसदी तक कम पानी बरसा है। इसके अतिरिक्त बालाघाट, हरदा, श्यौपुुरकला में भी सूखे जैसे हालात बन रहे हैं। इसकी वजह से मानसून की बारिश लाने वाले द्रोणिका का ज्यादा ऊंचाई पर बनना है।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अमूमन जुलाई और अगस्त माह में ही सीजन की सर्वाधिक बरसात होती है, लेकिन इस वर्ष इन दो माह में अपेक्षाकृत पानी नहीं गिरा। हालांकि, वह सितंबर में बरसात होने से कुछ भरपाई होने की उम्मीद जता रहे हैं।
मौसम विज्ञानियों ने इस बार सामान्य बरसात होने की उम्मीद जताई थी, लेकिन जून के अंतिम सप्ताह में आए मानसून के बाद दो-तीन जिलों के अलावा कहीं भी लगातार तेज बरसात का दौर नहीं चला। इस वर्ष वेदर सिस्टम तो एक के बाद एक बनते गए, लेकिन उनकी वजह से अपेक्षाकृत पानी नहीं गिरा। जिसके चलते बरसात का आंकड़ा लगातार नीचे लुढ़कता रहा।
मौजूदा स्थिति में 24 अगस्त तक मप्र में सामान्य से 25 फीसदी कम बरसात हुई है। पूर्वी मप्र में 26 और पश्चिमी मप्र में 24 प्रतिशत कम पानी गिरा है। पानी कम गिरने से जहां धान की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है, वहीं सोयाबीन की फसल भी कमजोर पड़ रही है। जल स्रोत खाली रहने के कारण आगे के महीनों में जलसंकट गहराने की भी आशंका बढ़ गई है।