गोरखपुर |
गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में चंद घंटों के भीतर कई बच्चों की मौत मामले में स्थानीय डीएम की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यदि जिम्मेदार डॉक्टरों ने समय रहते एक्शन लिया होता तो ऑक्सीजन की कमी के संकट से उबरा जा सकता था। इससे कई मासूमों समेत अन्य की जान बच सकती थी।
जिलाधिकारी राजीव रौतेला द्वारा गठित पांच सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता कम्पनी मेसर्स पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड ने ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित कर दी, जिसके लिये वह जिम्मेदार है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था क्योंकि इसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध मरीजों के जीवन से था। जांच समिति ने पाया है कि मेडिकल कॉलेज के एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम वार्ड के नोडल अधिकारी डॉक्टर कफील खान ने एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉक्टर सतीश कुमार को वार्ड का एयर कंडीशनर खराब होने की लिखित सूचना दी थी, लेकिन उसे समय पर ठीक नहीं किया गया। डॉक्टर सतीश गत 11 अगस्त को बिना किसी लिखित अनुमति के मेडिकल कॉलेज से गैरहाजिर थे। डॉक्टर सतीश वार्ड में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिये जिम्मेदार थे, लिहाजा वह अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाही के लिये प्रथम दोषी हैं। मालूम हो कि 10-11 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत होने के बाद डॉक्टर कफील को हटा दिया गया था।