मुंबई |
महाराष्ट्र ने वित्त वर्ष 2008-09 और 2013-14 के बीच 1800 करोड़ रुपये ऐसे स्टूडेंट्स पर खर्च किए हैं जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। दरअसल, यह राशि एससी,एसटी और ओबीसी के स्टूडेंट्स के लिए खर्च की जानी थी, लेकिन एसआईटी की जांच में यह खुलासा हुआ कि फर्जी स्टूडेंट्स के नाम पर इन पैसों की फंडिंग कर दी गई। 2016 में गठित एसआईटी ने 68 इंस्टिट्यूट्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की है। इसने सामाजिक न्याय विभाग को इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उनसे इन पैसों की वसूली करने को कहा है। इनमें से 25 इंस्टिट्यूटस चंद्रपुर, बीड, उस्मानाबाद, पुणे और सोलापुर में मौजूद हैं।
इधर, एसआईटी की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर 22 इंस्टिट्यूट्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और उनसे 64 करोड़ रुपये भी वसूले गए हैं। सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार बडोले ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘राज्य के गृह विभाग को एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है। मैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलूंगी और अगले 15 दिनों में आगे की कार्रवाई पर फैसला करूंगा।’
दरअसल, बीजेपी विधायक अतुल भटकालकर ने दिसंबर 2015 को विधानसभा सत्र के दौरान यह आरोप लगाया था कि जलगांव में अनुदान प्राप्त आश्रम स्कूल ने धन प्राप्त करने के लिए 8,000 फर्जी छात्रों का आंकड़ा दिखाया है। इसके बाद तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया।