मुंबई।
घाटकोपर उपनगर में चार मंजिला इमारत हादसे में मरने वालों की संख्या 17 हो गई है वहीं अब भी कुछ लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। दुर्घटना में 25 अन्य घायल हो गए हैं। हादसे के बाद पुलिस ने शिवसेना नेता को केस दर्ज कर हिरासत में ले लिया है। बताया जा रहा है कि वह बेसमेंट खरीदकर वहां निर्माणकार्य कर रहा था।
हादसे के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने घटनास्थल का दौरा कर हादसे की जांच का आदेश दिया है। उन्होंने बीएमसी से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है। पुलिस ने भी एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की है। बता दें कि दामोदर पार्क क्षेत्र में स्थित चार मंजिला साईं सिद्धि इमारत मंगलवार सुबह करीब 10.30 बजे अचानक ढह गई। इमारत की सभी मंजिलों पर तीन से चार परिवार रहते थे।
अग्निशमन दल के मुख्य अधिकारी प्रभात रहांगदले के अनुसार अब तक 17 लोगों के शव निकाले गए हैं और लगभग एक दर्जन को मलबे से जिंदा निकाला गया है। मरनेवालों में छह महिलाएं हैं। अस्पताल भेजे गए घायलों में आठ की स्थिति खतरे से बाहर है। दो दर्जन से अधिक लोगों के अभी भी मलबे में दबे होने की आशंका है।
दुर्घटना स्थल पर अग्निशमन दल की 14 गाड़ियों सहित एनडीआरएफ, बचाव दल, एंबुलेंस भी पर्याप्त संख्या में पहुंच गए थे। मुंबई में मंगलवार को मौसम साफ होने के कारण बचाव कार्य में दिक्कत नहीं आई। मलबे में फंसे लोगों को जीवित निकालने के लिए खोजी कुत्तों की मदद भी ली जा रही है।
पड़ोसियों के अनुसार इमारत सिर्फ 35 साल पुरानी थी। मुंबई महानगरपालिका की तरफ से इसे खतरनाक भी घोषित नहीं किया गया था। पड़ोसियों का मानना है कि इमारत बरसात के कारण नहीं, बल्कि इसकी निचली मंजिल पर हो रहे अनधिकृत निर्माण के कारण आई कमजोरी से गिरी। चार मंजिला रिहायशी इमारत के भूतल पर पहले एक निजी पॉलीक्लीनिक चलता था। कुछ समय पहले एक स्थानीय शिवसेना नेता सुनील सिताप ने पूरा भूतल खरीदकर उसमें गेस्टहाउस बनवाना शुरू किया। इसी प्रक्रिया में उसने भूतल पर बने आरसीसी के दो खंभे कटवा दिए।
स्थानीय कांग्रेसी सभासद प्रवीण छेड़ा का आरोप है कि ये खंबे काट देने के कारण ही इमारत कमजोर होकर ढह गई। मंगलवार सुबह जब ये हादसा हुआ उससे पहले पूरी इमारत बुरी तरह हिलने लगी। ग्राउंड फ्लोर पर काम कर रहे मजदूरों ने जब ये देखा वो तो घबराकर वहां से भाग निकले। इमारत में मौजूद परिवारों ने भी जब ये महसूस किया तो बाहर निकलने की कोशिश करने लगे। इनमें कुछ लोग बाहर नहीं आ पाए और मलबे में दब गए।