पटना |
बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग पर कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की बातचीत से यह साफ हो गया कि कांग्रेस को अपना हित सुरक्षित बनाए रखने के लिए महागठबंधन को बचाने में कितना अहम रोल निभाना होगा। अगर नीतीश कुमार पाला बदलकर एनडीए में जाते हैं, तो बिहार में आधार मजबूत करने की कोशिश में जुटी कांग्रेस के लिए यह बड़ा खतरा साबित होगा। ‘सांप्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता’ के नाम की लड़ाई को छोड़ दें तो कांग्रेस के पास कोई और वजह नहीं जिससे वह बीजेपी को कम से कम बिहार में अगड़ी जाति के लालू विरोधियों का एकमात्र विकल्प बनने से रोक सके।
इसलिए राहुल से हुई बात?
जेडीयू के एक सूत्र ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘यह बड़ी बात है कि सीएम नीतीश जी ने राहुल गांधी की मां और यूपीए अध्यक्ष अध्यक्ष सोनिया गांधी से नहीं बल्कि उनसे मुलाकात की। सोनिया के करीबी महागठबंधन में आरजेडी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के समर्थक माने जाते हैं। सोनिया गुट के ज्यादातर कांग्रेसी नेताओं को बिहार की राजनीति के दांव-पेच की समझ नहीं है।’
बिहार: नीतीश-लालू के बीच यूं उलझी है कांग्रेस
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