रायपुर।
छत्तीसगढ़ के नक्सल मोर्चे पर अब मोदी इफेक्ट नजर आने लगा है। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद नक्सली बैकफुट पर आ गए हैं और बस्तर के अंदरूनी इलाकों तक सिमट गए हैं। केंद्रीय गृहमंत्रालय की ताजा रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2011-2014 तक यूपीए सरकार के कार्यकाल के मुकाबले वर्ष 2014 से 2017 तक नक्सली हमलों में 25 फीसदी की कमी आई है।
यही नहीं, नक्सली हमलों में होने वाली मौतों में 42 फीसदी की कमी देखी गई है। वहीं नक्सलियों ने पिछले एक साल में हुए नुकसान के जो आंकड़े सार्वजनिक किए हैं, उसमें देश में 210 नक्सली मारे जाने की पुष्टि की है।
खास बात यह है कि नक्सलियों को सबसे ज्यादा नुकसान छत्तीसगढ़ में उठाना पड़ा है। यहां नक्सलियों के कंपनी कमांडर और जनमिलिशिया सहित 140 माओवादी मारे गए हैं।
पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों ने बताया कि बस्तर के सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में नक्सलियों को पीछे धकेलने में सफलता मिली है। बताया जा रहा है कि सुकमा में नेशनल हाइवे से 10 किलोमीटर अंदर तरफ पुलिस और अर्धसैनिक बलों की मौजूदगी से नक्सलियों का मूवमेंट कमजोर पड़ा है।
भेज्जी, क्रिस्टाराम, पोलमपल्ली जैसे इलाकों में सीआरपीएफ के कैंप बनने से अब जवानों को सफलता मिलनी शुरू हो गई है। गृहमंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र की मोदी सरकार ने बस्तर में विकास के रास्ते नक्सलवाद को खत्म करने का प्रयास शुरू किया है। पहले चरण में मुख्य मार्ग को गांव से जोड़ने वाली सड़क बनाई जा रही है।
अकेले बस्तर में डेढ़ हजार किलोमीटर से ज्यादा सड़क बन रही है। वहीं, 146 मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं, जिसमें सौ से ज्यादा टावर का निर्माण पूरा हो गया है। मोबाइल टावर से कनेक्टिविटी बढ़ने से सूचना मिलने में सुविधा होने का दावा किया जा रहा है।